भारत को यूएनएससी की स्थायी सदस्यता जरूर मिलेगी, इसके लिए अधिक मेहनत करने की जरूरत है: विदेश मंत्री
नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत लंबे समय से प्रयासरत है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कह दिया है कि भारत को यूएनएससी की स्थायी सदस्यता जरूर मिलेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिक मेहनत करने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता जरूर मिलेगी। दुनिया में यह भावना है कि भारत को यह स्थान जरूर मिलना चाहिए, लेकिन देश को इस बार अधिक मेहनत करनी होगी।
वह गुजरात के राजकोट शहर में बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान दर्शकों ने उनसे UNSC का स्थायी सदस्य बनने की भारत की संभावनाओं के बारे में पूछा। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन लगभग 80 साल पहले हुआ था। पांच देशों (चीन, फ्रांस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका) ने आपस में इसकी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि उस समय दुनिया में कुल मिलाकर लगभग 50 स्वतंत्र देश थे, जो समय के साथ बढ़कर लगभग 193 हो गए हैं। जयशंकर ने कहा, "लेकिन इन पांच देशों ने अपना नियंत्रण बनाए रखा है। यह अजीब है कि आपको बदलाव के लिए उनकी सहमति देने के लिए कहना पड़ रहा है। कुछ सहमत हैं, कुछ अन्य ईमानदारी से अपना पक्ष रखते हैं, जबकि अन्य ऐसे देश हैं जो पीछे से कुछ करते रहते हैं।"
विदेश मंत्री ने कहा कि यह सब कई वर्षों से चल रहा है। उन्होंने कहा, "लेकिन अब, दुनिया भर में यह भावना है कि इसे बदलना चाहिए और भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए। मैं इस भावना को हर साल बढ़ता हुआ देख रहा हूं।" जयशंकर ने कहा, "हम इसे निश्चित रूप से हासिल करेंगे। लेकिन कड़ी मेहनत के बिना कुछ भी बड़ा हासिल नहीं होता है।" उन्होंने कहा, "हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और इस बार हमें और भी अधिक मेहनत करनी होगी।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है और उनका मानना है कि इससे मामला थोड़ा आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा, "लेकिन हमें दबाव बनाना चाहिए, और जब यह दबाव बढ़ता है... तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना बढ़ेगी।''
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