Paralympic : शॉटपुट F57 में होकाटो सीमा ने जीता कांस्य, भारत की झोली में पेरिस से अब तक 27 पदक
पेरिस
भारतीय एथलीट होकाटो सेमा ने पहली बार पैरालंपिक खेलों में भाग लेते हुए पुरुषों की शॉटपुट एफ57 के फाइनल मुकाबले में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।नागालैंड के रहने वाले एथलीट होकाटो सेमा ने शुक्रवार देर रात खेले गये गोला फेंक मुकाबले मे 14.65 मीटर के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे और कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके साथ पैरालंपिक में छह स्वर्ण, नौ रजत, 12 कांस्य के साथ भारत के पदकों की संख्या 27 हो गई है।
इस स्पर्धा में ईरान के यासिन कोसावनी ने 15.96 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण पदक और वहीं थिएगो पॉलिनो ने 15.06 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक मिला।
24 दिसंबर 1983 को जन्में होकाटो सेमा नागालैंड के किसान परिवार से आते है। वह सेना में थे और वर्ष 2002 में जम्मू कश्मीर के चौकीबल में आंतकवाद विरोधी अभियान में होकाटो सेमा ने भाग लिया। इस दौरान बारूदी सुरंग में विस्फोट उन्हें अपना बायां पैर गवांना पड़ा। पैर गवांने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कई चुनौतियों के बावजूद उन्होंने 2016 में पैरा एथलीट बनने की ओर रूख किया।
सेमा ने एशियाई पैरा खेल 2022 (2023) कांस्य पदक, विश्व चैम्पियनशिप 2024 में चौथा स्थान पर रहे और
मोरक्को ग्रैंड प्रिक्स 2022 में रजत पदक जीता।
भारत के सपूत ने कांटे की टक्कर के बाद पूरे देश के चेहरे पर बिखेरी मुस्कान
शॉटपुट एफ57 का फाइनल मुकाबला कितना चुनौतीभरा रहा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाग ले रहे कुल 12 खिलाड़ियों में फ्रांस, यमन, हैती और सोमालिया के खिलाड़ियों ने इस सीजन का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दर्ज कराया, जबकि उज्बेकिस्तान के एथलीट वाई ओडिलोव ने अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
पेरिस पैरालंपिक: शॉट पुट एफ57 स्पर्धा में पदक जीतने वाले तीनों खिलाड़ी
इनके अलावा अर्जेंटीना और फिनलैंड के खिलाड़ियों ने भी चुनौती पेश की। पदक विजेताओं के अलावा दो और खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने 14 मीटर की लाइन पार करने में सफलता पाई। कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय एथलीट होकाटो दशमलव के बाद चंद अंकों (महज 0.41) के अंतर से रजत जीतने से चूक गए।
सेमा का सफर : जंग के मैदान से लेकर पैरालंपिक कांस्य पदक तक
वह अक्टूबर 2002 की बात है जब जम्मू कश्मीर के चौकीबल के अशांत इलाके में एक अप्रत्याशित विस्फोट ने हवलदार होकाटो होतोज़े सेमा का स्पेशल फोर्स में शामिल होने का सपना तोड़ दिया।
आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान हुए बारूदी सुरंग विस्फोट के कारण उन्होंने अपने बाएं पैर के घुटने के नीचे का हिस्सा गंवा दिया, जिससे उन्हें अत्यधिक शारीरिक दर्द और मानसिक आघात पहुंचा।
लोगों को लगा कि सेमा की दुनिया अंधकारमय हो गई, लेकिन इस जवान ने हिम्मत नहीं हारी। इसी का परिणाम है कि 40 वर्षीय सेमा ने पेरिस पैरालंपिक खेलों के गोला फेंक ( शॉट पुट) में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 14.65 मीटर थ्रो करके पुरुषों की एफ57 श्रेणी में कांस्य पदक हासिल किया।
यह श्रेणी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनका कोई अंग नहीं होता है या जिनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं। भारतीय खिलाड़ी सेमा ने खुद को इस श्रेणी के लिए तैयार किया।
पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र मे सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सेमा की फिटनेस को देखकर उन्हें शॉट पुट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। इस तरह से उन्होंने 2016 में 32 साल की उम्र में इस खेल को अपनाया था।
सेमा ने उसी वर्ष राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया। उन्होंने 2022 में मोरक्को ग्रां प्री में रजत और हांगझोउ एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता।
वह 2024 में विश्व चैंपियनशिप में मामूली अंतर से पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। लेकिन सेमा का निश्चय कभी नहीं डिगा।
पैरालंपिक खेलों में सेमा ने अपने चौथे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके कांस्य पदक जीता। ईरान के दो बार के पैरा विश्व चैंपियन यासीन खोसरावी ने 15.96 मीटर के पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया, जबकि ब्राजील के थियागो डॉस सैंटोस ने रजत पदक (15.06 मीटर) जीता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमा की अविश्वसनीय ताकत और दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए उनकी जीत को देश के लिए गर्व का क्षण बताया।
मोदी ने एक्स पर लिखा, ‘‘हमारे देश के लिए यह गर्व का क्षण है। होकाटो होतोज़े सेमा ने पुरुषों के शॉट पुट एफ57 में कांस्य पदक जीता है। उनकी अविश्वसनीय ताकत और दृढ़ संकल्प असाधारण हैं। उन्हें बधाई और भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं ।’’
ईरान के खिलाड़ी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन से बनाया पैरालंपिक खेलों का रिकॉर्ड
मीलों दूर से पेरिस की सरजमीं पर आकर देश को पदक दिलाने वाले एथलीट अपने प्रदर्शन से बेहद उत्साहित दिखे। ब्राजीली खिलाड़ी ने जहां रजत पदक जीत देश का नाम बढ़ाया तो दूसरी तरफ ईरानी खिलाड़ी यासिन खोसारवी ने पैरालंपिक के इतिहास में अभूतपूर्व प्रदर्शन कर इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम कर दिखाया।
पाठको की राय