चंद्र ग्रहण 2024: तारीख और समय की जानकारी
साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण इसी महीने लगने जा रहा है। भारत के कई हिस्सों में भी चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारत के आंशिक रूप से दिखाई देगा। जबकि यूरोप के अधिकतर देशों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। आइए जानते हैं भारत में कब लगने जा रहा है इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण।
भारत में साल 2024 का दूसरा चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा तिथि यानी 18 सितंबर 2024 को चंद्रग्रहण मालिन्य दिखेगा। जबकि यह दक्षिणी अमेरीका, अफ्रीका के पश्चिमी देशों और पश्चिमी यूरोप के देशों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। जबकि यूरोप के अधिकतर देशों में, पूर्वी अफ्रीका में चंद्र- अस्त के समय आंशिक रूप में और उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में चंद्रोदय के समय ग्रस्तोदय रूप में देखा जा सकेगा।
हालांकि, जब खण्डग्रास यानी आंशिक चंद्रग्रहण प्रारंभ होगा, तब तक पूरे भारत में चंद्र अस्त हो चुका होगा। इसलिए भारत में यह ग्रहण अदृश्य रहने वाला है। लेकिन, जब चंद्रग्रहण का मालिन्य प्रारंभ होगा। इसके बाद भारत के उत्तर पश्चिमी और उत्तरी दक्षिणी अनेक शहरों में चंद्र अस्त होगा। सिर्फ उस दौरान चंद्रमा में थोड़ा धुंधलापन दिखाई देगा। आइए जानते हैं भारत में कहां-कहां और कब दिखाई देगा चंद्रग्रहण।
भारत के इन 10 प्रमुख शहरों में दिखाई देगा चंद्रग्रहण
अमृतसर सुबह 6 बजकर 13 मिनट पर
अंबाला सुबह 6 बजकर 6 मिनट पर
कुरुक्षेत्र सुबह 6 बजकर 6 मिनट पर
जम्मू सुबह 6 बजकर 13 मिनट पर
जयपुर सुबह 6 बजकर 11 मिनट पर
दिल्ली सुबह सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर
नागपुर सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर
मुंबई सुबह 6 बजकर 26 मिनट पर
सूरत सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर
हांसी सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर
इन शहरों के अलावा भी अन्य कई शहरों में चंद्रग्रहण मालिन्य देखा जा सकेगा।
क्या होता है आंशिक चंद्रग्रहण
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी लाइन में आ जाते हैं तो चंद्रमा के एक हिस्से पर पृथ्वी की छाया आ जाती है। ऐसे में चंद्रमा के एक हिस्सा थोड़ा लाल नजर आने लगता है या थोड़ा धुंधला नजर आने लगता है। इसे ही आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं।
चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से देखें तो चंद्रग्रहण जब लगता है तो ऐसा माना जाता है कि राहु ने चंद्रमा निगल लिया है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान सुअर भानु नामक असुर देवताओं के पंक्ति में जाकर बैठ गया और धोखे से अमृत पी लिया था। सूर्य और चंद्रमा ने सुअर भानु को ऐसा करते देख लिया और जाकर भगवान विष्णु को बता दिया। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया। लेकिन, अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं। इसलिए उस राक्षस का नाम फिर राहु और केतु हो गया। क्योंकि, इसके शरीर के दो हिस्से हो गए थे। तभी से राहु और केतु चंद्रमा और सूर्य के साथ शत्रुता का संबंध रखते हैं। इसलिए सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगता
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